Wednesday, March 2, 2016

आशु कविता "उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?"

आशु कविता "उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?"
आशु कविता मे एक पंक्ति दी जाती है ओर कविता उसी पंक्ति पर अंत होनी चाहिए| पंक्ति थी "उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?"
उधव जी श्री कृष्णा भगवान के सखा थे उन्हे उद्धो के नाम से संबोधित किया जाता था| श्री कृष्णा भगवान उनसे पूछते है: - उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?
मेरी एक स्वरचित आशु-कविता|
पंक्ति: - उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?
टीवी ही तो है जीवन मे हमारे, सीरियलों मे नग्नता ही नग्नता है|
कैसे रोके बचों को देखने से हमारे? हार कर हम भी वहीं बैठ कर देखते रहते हैं सारे||
उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे? ||||
चोली के पीछे क्या है चुनरी के नीचे क्या है? पूछते जब जवान बेटी बेटे हमारे|
पापा आख़िर इस गाने मे खराबी क्या है? कोसते दुर्भाग्य की विवशता को हमारे||
हार कर हम भी वहीं बैठ कर देखते रहते हैं सारे|
उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे? ||||
ठाकोर जोशी

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