Friday, November 25, 2016

निबंध समय किसी की प्रतीक्षा नही करता

बीता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते | ~ कहावत




बीता हुआ समय कदापि वापस नहीं आता| अतः ये अत्यंत आवश्यक है कि समय का दुरुपयोग ना करे और व्यर्थ में व्यतीत न करे| याद रखें समय ही धन है| कार्यों को टालते ना रहें और स्थगित करने की आदत न डालें| यदि  ये आदत हो तो तत्काल छोड़े| बीता हुवा समय वापिस नहीं मिलेगा| याद रखें समय का सदुपयोग करे|

स्कूल और कॉलेज में विद्यार्थी अक्सर टीवी, सिनिमा, कम्प्यूटर गेम्स, चैटिंग (गप-शप) और घूमने फिरने में अधिकतम समय व्यतीत करते रहते हैं| आज कल मोबाइल और मॉल कल्चर भी विद्यार्थियों का बहुमूल्य समय बिगाड़ने में बहुत बड़ी हद तक जवाबदार है| विद्यार्थी माल्स में भटकते रहते हैं, जंक फ़ूड खाते हैं और अनावश्यक खरीददारी करते हैं जिनका की उनकी फैशन परस्ती में समावेश होता है| परिणाम स्वरूप परीक्षा के समय वे काफी परेशान हो जाते हैं और कुछ ही दिनों में रात भर जग कर, ड्रग्स वगेरा खा कर परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं| इस तरह परीक्षा की तैयारी तो हो नहीं पाती ऊपर से वे बीमार हो जाते हैं| या तो वे परीक्षा में बहुत ही कम अंकों से पास होते हैं अन्यथा फ़ैल हो जाते हैं वे उनका भविष्य बिगाड़ लेते हैं|

जो विद्यार्थीगण नियमित रूप से क्लास में उपस्थित रहते हैं और स्कूल या कॉलेज के बाद के अपने समय में नियमित रूप से पढाई का अभ्यास करते रहते हैं वे तनिक भी समय नष्ट नहीं करते वे परीक्षा में अच्छे अंको से उतीर्ण (पास) होते हैं और अपना उज्जवल भविष्य बनाने में सफल होते हैं|

उदाहरण स्वरूप, किसान नियमित समय पर खेत जोतता है, अनाज  बोता है और पानी देता है | यदि ये सब काम समय से वो नहीं करेगा तो फसल नहीं मिलेगी और भयंकर नुक्सान उठाना पड़ेगा और इस नुक्सान की प्रतिपूर्ति असंभव होती है|

सही माने में एक साल की कीमत तो वो समझ सकता है जो की एक साल फ़ैल हुवा है| एक महीने की कीमत वो माँ समझ सकती है जिसने समय से एक महीने पूर्व ही कमजोर बालक को जन्म दिया हो| एक मिनट की कीमत वो समझ सकता है जो कि गाडी चूक गया हो जब वो नौकरी के इंटरव्यू को जा रहा था| समय का प्रत्येक मिनट ही नहीं प्रत्येक क्षण महत्वपूर्ण है और उसका बहुमूल्य प्रत्येक को समझना चाहिए|

सारांश मेंमानव  जीवन सिर्फ एक ही बार मिलता है और समय अत्यंत ही मूल्यवान होता है| बीता हुवा समय पुनः नहीं मिलता| उसका सदुपयोग करना सबका कर्तव्य है|

(शब्द – 428)

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Monday, November 21, 2016

निबंध ज्ञानी और बुद्धिमान का अंतर

निबंध ज्ञानी और बुद्धिमान का अंतर

जन्मसे ही कोई ज्ञानी या बुद्धिमान नहीं होता| नवजात शिशु का दिमाग बिलकुल साफ़ सुथरी स्लेट के जैसा होता है| समय के साथ साथ जो भी वो देखता है, सुनता है या अनुभव करता है वो सब उसके दिमाग में अंकित होता रहता है और शिशु उसकी नयी दुनिया, वातावरण एवम लोगों को समझने की कोशिश करने लगता है और समझने लगता है| शिशु उसकी समझ के अनुसार कुछ कुछ  करने का प्रयत्न करने लगता है | पांच साल की  उम्र तक की उसकी समझ आजीवन पक्की सी रहती है| वैसे जन्म हो जाने से कोई बुद्धिमान या ज्ञानी नहीं बन जाता|

विद्यार्थी जीवन में आने से व्यक्ति स्कूल एवम कॉलेज तथा प्रोफेशनल कॉलेज में जा कर क्रमश: प्राथमिक. माध्यमिक, उच्च एवम उच्चतम शिक्षा एवम ज्ञान प्राप्त कर लेता है| इस ज्ञान में मात्र जानकारी का समावेश होता है| समय के साथ व्यक्ति इस जानकारी से उपयोगी कार्य करने लगता है| और इस कार्य के मार्ग में जो असफलताएं एवम बाधाएं आती हैं और उन्हें पर करके सफलता प्राप्त करलेना व्यक्ति की बुद्धि में अभिवृद्धि करती हैं|


जन्म और आयु बुद्धिमान होने का प्रमाणपत्र नहीं देते| कोई बुजुर्ग हो जाता है पर बुद्धिहीन रहता है और कोई कम उम्र में ही बुद्धिमान बन जाता है| बुद्धिमान व्यक्ति अपने कठोर परिश्रम एवम प्रयास से बनता है| बुद्धिमता में ज्ञान + सामान्य ज्ञान + अनुभव + विचारशीलता + समझ + कार्यकुशलता इत्यादि का समावेश होता है| और इन सब को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास एवम कठोर परिश्रम की आवश्यकता होती है| उदाहरणस्वरूप चाणक्य निरंतर प्रयास एवम कठोर परिश्रम के पश्चात एक विश्व-विख्यात एवम महान ज्ञानी हुवे|

सारांश में बुद्धि सिखाई या पढाई नहीं जाती| पढ़ाया लिखाया सिर्फ ज्ञान  होता है| इस ज्ञान का उपयोग करने के मार्ग में जो बाधाएं आती हैं उन्हें निरंतर कठोर परिश्रम एवम प्रयास से पार करके सफलता प्राप्त करने की कला ही बुद्धिमानी है|  

(शब्द – 315)


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