Thursday, February 11, 2016

परिवर्तन ही संसार का नियम है

  • समय बदल गया है|
  • जब मैं छोटा था दुनियाँ बहुत बड़ी दिखती थी|
  • स्कूल घर से पास था ओर रोज मैं पैदल जाता था| चन्द दोस्तों के साथ|
  • साइकल सिर्फ़ बड़े घर के ओर बड़े लड़कों के पास हुवा करती थी|
  • आधी छ्टी मे कभी गोले वाले से शक्कर के लाल पीले गोले खाते थे| गोली वाले से नारंगी की फाँक जैसी गोलियाँ खरीद के खाते थे ओर चूरन वाले से चूरन की गोलियाँ वाह क्या मज़ा आता था | तब तक घंटी बाज जाती थी ओर हम क्लास मे फिरसे आजाते थे|
  • गर्मी के दिनो मे तो आधी छुट्टी कम पड़ जाती थी क्यूंकी बरफ के गोले, मनपसंद रंग के बनवाने होते थे ओर कुलफी वाले से मनपसंद आकार की कुलफियाँ खानी होती थी! ओर ये सब मज़ा सिर्फ़ चार आने की जेब खर्ची के अंदर अंदर से पूरा पड़ता था ओर कुछ पैसा बचता था जो दूसरे दिन की जेब खर्ची मे जुड़ जाता था| वाह क्या दिन थे यार| जाने कहाँ गये वो दिन?
  • आए दिन अलग अलग दोस्तों की सालगिरह पड़ती थी ओर वो टी पार्टी के मध्यम से मनाई जाती थी सब दोस्त मिल कर दाल-सेव, बिस्कुट नानकताई ओर क्रीमरोल उड़ाते थे ओर गाने गाते थे न तो कोई रोक टोक होती थी ओर ना ही कोई ओपचारिकता| सिर्फ़ आज़ादी ही आज़ादी| काफूर हो गयी ये सब बाते वक़्त के साथ अब तो बस याद ही याद है गुज़रे वक़्त की खूबसूरतीयों की!
  • हमारे गाँव मे सिनेमा तो था ही नही कभी कभी रामलीला, तो कभी कठपुतली वाला, कभी कभी जादू के खेल वाला मदारी ओर कभी साल दो साल मे एक बार सर्कस वाले आते थे हर खेल का कई कई बार  मज़ा लेते थे.... क्यूंकी सुंदर सुंदर, चुस्त चुस्त लड़कियाँ रंग बिरंगी कपड़ों मे मस्त मस्त खेल दिखाती थी ओर खेल के अंत मे मुस्कुरा कर अभिवादन करती थी मुझे लगता था वो सिर्फ़ मुझे ही मुस्कान दे रही है| वाह क्या आनंद की अनुभूति थी.... सोचता हूँ बचपन के दिनो की वो नासमझ ओर अज्ञानता भी कितनी खूबसूरत थी| जाने कहाँ गये वो दिन|
  • जिस स्कूल मे पढ़ता था उसकी इमारत भी बिक गयी नयी इमारतों मे स्कूल ओर कॉलेज खुल गये| जिस कारखाने मे मेरे पिता काम करते थे वो पूरा का पूरा धराशाही होगया अब वहाँ कॉलोनी है|
  • आज मेरे पास गाड़ी है, अपना मकान है, फोन है, नौकर-चाकर हैं, जीवन की सभी सुख सुविधाएँ ओर ज़रूरी उपलब्धियाँ हैं| पर वो कुछ भी अब मेरे पास नहीं है जो स्कूल के दिनो मे मेरे पास था| मैं खुश हूँ क्यूंकी मैं स्वीकार करता हूँ कि परिवर्तन ही संसार का नियम है ओर परिवर्तन ही जीवन है|


ठाकोर जोशी
11 February 2016


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