इस युग के बच्चो की पीढ़ी में देखा गया है कि
लड़के एवम लड़कियां बहुत ही शीघ्र यानी कि सात से नो वर्ष की आयु में ही जवानी में
कदम रखने लगे है| इतना ही नहीं वे वयस्कता के समस्त अनुभव भी
स्वयं कर लेना चाहते हैं| इस बदलाव का मुख्य कारण ये है कि पिछली शताब्दी
में तो किशोरावस्था 12 से 19
हुवा करती थी जब कि आज कल 7- 9 वर्ष कि आयु में ही कई कई शारीरिक बदलाव आते है| जैसे कि बगल और
गुप्त अंग के आस पास में बालों का उग आना, स्थनो और गुप्तांगो का वकसित हो कर बड़ा आकार बन जाना, लड़कों के चेहरों पे दाढ़ी मूंछ का आना और लड़कियों को मासिक
धर्मं का शुरू होना इत्यादि| किशोर किशोरिओं में ये सारे हार्मोनल बदलाव काफी
उलझने पैदा कर देते हैं और उनका वर्ताव काफी कुछ विचित्र सा हो जाता है| इस अवस्था के किशोर किशोरि अपने निर्णय खुद लेना चाहते हैं, अपने दोस्तों के बारे में इत्यादि| इसी समय में किशोर किशोरिओं की सेक्स में रूचि भी जन्म लेती
है और बढ़ने लगती है| ये अवस्था अत्यन्त नाजुक होती है| लड़के एवम
लड़कियां डेटिंग करने लगते हैं| कई बार तो बच्चे
समय से पूर्व सम्भोग भी कर बैठते है और लडकियां गर्भवती हो जाती हैं जो कि
असामाजिक है| इनके परिणाम भयंकर होते हैं| यह परिस्थिति माता पिता के लिए एक गहन चिंता एवम समस्या के
रूप में आकर खड़ी हो जाती है| माता पिता का फर्ज है कि इस अवस्था
में बालकों को भला बुरा कहने के बजाय उन्हें प्यार से दुलार से सही सही जानकारी से
अवगत करें अन्यथा बच्चे झूठ बोलने को प्रेरित होंगे| बालकों को सिर्फ भाषण ना दे, उनको उनके गलत
व्यवहार से होने वाले भयंकर परिणामों से अवगत करें|
डेटिंग प्रेरित
होने का दूसरा कारण है टीवी, सिनिमा और इन्टरनेट| बच्चे टीवी और इन्टरनेट पर एडल्ट कंटेंट देखने लगते हैं और वैसा करने में
प्रेरित होते हैं| तीसरे स्थान पर
फ़ैशन परस्ती आती है जहां लडकियां एकदम चुस्त तथा छोटे कपडे पहनती हैं इससे
अंगप्रदर्शन होता है जो कि लड़कों में सेक्स की इच्छा को तीव्र गतिमान बनाता है|
इसके अलावा एक
कारण ये भी है की आज कल के नाव विवाहित माता पिता अपनी वैवाहिक जिंदगी का आनंद
उठाने में और वक़्त की आपा-थापी में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें बच्चो के
लिए समय ही नहीं मिलता| ये एक अत्यंत
दुखपूर्ण स्थिति होती है जिसमे कि बच्चे माता पिता के ध्यान और प्यार के आभाव में
डेटिंग में प्रेरित होते हैं| माता पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के लिए समय निकाले, उनके साथ खेलें कूदें मनोरंजन करें और सही शिक्षा दें|
सारांश में इन
सारे पहलुओं को देखते हुवे माता पिता बच्चो को सामूहिक डेटिंग के लिए आज्ञा दे
सकते हैं| इससे शारीरिक संबंधों के खतरे टल सकते है| वैसे तो डेटिंग के लिए कोई उम्र तय नहीं की जा सकती परन्तु
हायर सेकेंडरी स्कूल के बाद जब लड़के लडकियां १८ साल के हो जाय तब कॉलेज जाने के बाद ही डेटिंग के लिए
आज्ञा प्रदान की जा सकती है|
(शब्द 515)
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