Monday, January 2, 2017

निबंध बच्चो के वर्ताव के लिए जिम्मेदार कौन सिर्फ माता पिता या सिर्फ स्कूल

                                                         



निबंध बच्चो के वर्ताव के लिए जिम्मेदार माता पिता एवम स्कूल दोनों ही होते हैं| किसी भी एक की ये जिम्मेदारी कहना गलत है| बच्चे के जन्म के पश्चात जब तक वो स्कूल नहीं जाता उसे सही वर्ताव सिखाना माता पिता की संपूण जिम्मेदारी है| पांच वर्ष तक की आयु तक बच्चे जो अनुभव करते हैं या सीखते हैं उनका प्रभाव बच्चे के मस्तिक्ष पर काफी मजबूत और स्थाई होता है|

स्कूल में बच्चे अनुशाशन, समय की पाबंदी, साथ मिलकर काम करना, अन्य खेल कूद के साथ साथ कई विषय जैसे कि भाषाएं, गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, कम्प्यूटर इत्यादि सीखते हैं| खेल कूद, परेड, व्यायाम इत्यादि बच्चों के शारीरिक एवम मानसिक विकास हेतु सिखाये जाते हैं| स्कूलों में कई कई अन्य प्रतियोगिताएं जैसे कि संगीत, नृत्य, नाटक, वाद विवाद इत्यादि बच्चो के सर्वांगीण विकास हेतु आयोजित की जाती हैं|

स्कूलों की पढाई पूरी करके विद्यार्थी कॉलेज एवम प्रोफेशनल कॉलेज में जाते हैं और डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट इत्यादि बनते हैं | अतः स्कूल की पढाई एक फाउंडेशन होती है और जितनी मजबूत नीवं होगी उतना ही मजबूत वो नागरिक बनेगा|

स्कूल में जाने पर स्कूल का माहौल, टीचर्स का वर्ताव, साथी एवम अन्य विद्यार्थियों का वर्ताव इत्यादि का बच्चो के वर्ताव पर काफी असर पड़ता है| और नया विद्यार्थी जो देखता है वही सीखता है| सही या गलत की पहचान नए विद्यार्थी को नहीं होती| इसी कारण से समय समय पर पेरेंट्स मीटिंग आयोजित की जाती है और माता पिता को अवगत कराया जाता है कि उन्हें क्या क्या और करना चाहिए तथा माता पिता भी टीचर्स को बता सकते हैं  कि उनके बालक की शिक्षा में किन किन बातों का अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है| अतः स्कूल का, विद्यार्थी के चरित्र गठन में और उसे एक अच्छा नागरिक बनाने में बहुत बड़ा योगदान होता है| 

(शब्द 310)

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