निबंध "बचपन के महत्वपूर्ण वर्ष"
(एक मनोवैज्ञानिक निबंध)
जन्म के पश्चात प्रत्येक के जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष होते है क्रमशः चार, आठ एवं बारह (४, ८, १२) | चार वर्ष वाले बालक उपद्रवी, जिद्दी और झूठ बोलने लगते हैं| वे अपने आप को बहुत कुछ समझने लगते हैं, कपोल कल्पित बातों को वास्तिवकता से जोड़ने लगते हैं तथा तर्क करने लगते हैं| ये अपने आप को सर्वे-सर्वा, साहसिक एवं प्रतिरोधी समझते हैं| इस अवस्था वाले बालक रात्रि में बड़ी मुश्किल से बिस्तर में सोने जाते हैं और नींद में बुरे सपनों का शिकार होने लगते हैं| पैदल चलते समय वे बड़ों से आगे चलने लगते हैं और बड़ों का हाथ पकड़ने का विरोध करते हैं| ये बालक अपने साथी बालकों से अपने शारीर की रचना की तुलना करने लगते हैं और साथिओं को छू छू कर खेलने लगते हैं| इनको शारीर की भिन्न भिन्न रचनाओं एवं नवजात शिशु जन्म के बारे में उत्सुकता होती है| माता पिता का फर्ज है कि इस अवस्था में बालकों को भला बुरा कहने के बजाय उन्हें प्यार से दुलार से सही सही जानकारी से अवगत करें अन्यथा बच्चे झूठ बोलने को प्रेरित होंगे| बालकों को सिर्फ भाषण ना दे, उनको उनके गलत व्यवहार से होने वाले भयंकर परिणामों से अवगत करें|
आठ वर्ष वाले बालक माता पिता के ध्यान की आशा रखते है| वे चाहते हैं कि माता-पिता की सोच भी उन्ही के जैसी हो| इस अवस्था के बालक बहुत ही भावुक एवं संवेदनशील होते हैं| लड़के लड़कों के साथ खेलना पसंद करते हैं और लडकियां लड़कियों के साथ| इन बालकों को प्रोत्साहन एवं मान्यता की जरूरत होती है| माता पिता इनको तारीफ के शब्द दे और होसला बढाए|
बारह साल पर बालकों की किशोर अवस्था शुरू होती है| किशोर किशोरिओं को मार्गदर्शन की जरूरत होती है अतः माता पिता इनको सिर्फ भाषण ना दे योग्य मार्गदर्शन दे | इस अवस्था में कई कई शारीरिक बदलाव आते है| जैसे कि बगल और गुप्त अंग के आस पास में बालों का उग आना, गुप्तांगो का वकसित हो कर बड़ा आकार बन जाना, लड़कों के चेहरों पे दाढ़ी मूंछ का आना और लड़कियों को मासिक धर्मं का शुरू होना इत्यादि| किशोर किशोरिओं में ये सारे हार्मोनल बदलाव कुछ उलझने पैदा कर देते हैं और उनका वर्ताव कुछ विचित्र सा हो जाता है| इस अवस्था के किशोर किशोरि अपने निर्णय खुद लेना चाहते हैं, अपने दोस्तों के बारे में इत्यादि| इसी समय में किशोर किशोरिओं की सेक्स में रूचि भी जन्म लेती है और बढ़ने लगती है| ये अवस्था अत्यन्त नाजुक होती है| माता पिता को चाहिए कि बालकों के प्रश्नों का प्यार से सही सही उत्तर दे व योग्य मार्गदर्शन करे| डाँट फटकार वाले भाषण परिस्थिति को सुधारने के बजाय बिगाड़ सकते हैं| माता पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों को समय दें उनके साथ अच्छा समय गुजारें और उनके मन की समस्याओं का प्यार से सुलझाएं और समाधान करें| उनके प्रश्नों का उत्तर दें सिर्फ बड़े बड़े भाषण न दें| महज वक़्त की आपा थापी में ही व्यस्त रह कर उनको अकेला ना छोड़ दें| अकेलेपन के परिणाम किशोर किशोरिओं की मनोदशा पर विपरीत एवं भयंकर होते हैं|
सारांश में बालकों की १२ वर्ष तक की आयु तक का समय अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है|
- ठाकोर जोशी - (५२२ शब्द)
No comments:
Post a Comment