Thursday, March 17, 2016

निबंध - कंप्यूटर और इंटरनेट का शिक्षा क्षेत्र में महत्व एवं आवश्यकता


निबंध - कंप्यूटर और इंटरनेट का शिक्षा क्षेत्र में महत्व एवं आवश्यकता

इस ग्लोबल एवं तीव्र-गतिमान युग में कंप्यूटर और इंटरनेट का हर क्षेत्र में तक़रीबन १००% उपयोग हो रहा है| कंप्यूटर एक ऐसा साधन है जिससे तक़रीबन सभी कार्य इतनी शीग्रता से किये जासकते हैं जो कि कल्पना से परे हैं|

आज कल कंप्यूटर का प्रचलन और उपयोग इतना अधिक हो गया है की हम सभी के दैनिक जीवन के कार्य बिना कंप्यूटर के होना असंभव सा है| जनता तो कम्प्यूटरों को जेब में रख कर घूमने लगी है| विद्यार्थिओं को स्कूल और कॉलेज के अलावा घर पर भी कंप्यूटर से ही काम करना होता है| कम्प्यूटर पढाई के अलावा मनोरंजन के लिए भी इस्तमाल किया जाता है जैसे कि संगीत सुनना, गेम्स  खेलना इत्यादि

इतहास, भूगोल, विज्ञानं, गणित और भाषाएँ, तक़रीबन हर भाषा की जानकारी और ज्ञान कंप्यूटर से इंटरनेट के जरिए प्राप्त हो जाता है| साथ साथ में इंजीनियरिंग, मडिकल रिसर्च हर काम कंप्यूटर और इंटरनेट से कियां जाता है| फाइनेंस और बैंकिंग भी इंटरनेट से  हो रहा है| पैसा निकालने या जमा करवाने आप को कहीं जाने की जरूरत नहीं आपके लैपटॉप या टेबलेट से ही होजाता है| ख़रीददारी और भुगतान भी कंप्यूटर हे से हो रहे हैं| विश्व के  पुरे   शेयर बाजार / स्टॉक मार्केट्स  कम्प्टूर और इंटरनेट के सहारे ही चलते  हैं| रेल, रोड, एयर बुकिंग भी ऑनलाइन ही होते हैं| विमानों रेलों की आवागमन नियंत्रण भी कम्प्यूटर्स ही कर रहे हैं| और तो और मनुष्यों का स्वास्थ्य, बीमारी से इलाज सभी कुछ में कम्प्यूटर्स और इंटरनेट का बहुत बड़ा योगदान है|

नतीजा य्रे निकलता है कि कम्प्यूटर इंटरनेट का सही तरीके से उपयोग, रख-रखाव और सञ्चालन सीखने के लिए इनका शिक्षा क्षेत्र में होना अति आवश्यक है और ये बहुत ही महत्वपूर्ण है|

ठाकोर जोशी

२८१ शब्द

Sunday, March 13, 2016

निबंध: - बच्चो को स्कूल भेजने की आयु


निबंध: - बच्चो को स्कूल भेजने की आयु  

कुछ लोगों का अभिप्राय है की बच्चों कोजन्म के बाद जल्द से जल्द स्कूल शुरू करवा देना चाहिए और बच्चो को अधिक से अधिक समय पढाई में बिताना चाहिए ना की खेलने में| अन्य वर्ग का मानना है की चार साल की उम्र से पहले तक बच्चो को खूब खेलने कूदने देना चाहिए और चार साल पूरे होने के बाद ही उन्हें स्कूल शुरू करवाना चाहिए| हम इस निबंध में इस विषय पर चर्चा करेंगे|

स्कूल शुरू करने की एवं स्कूल छोड़ कर कॉलेज शुरू करने की आयु सीमा तो सरकार ने क्रमशः ०६ और १६ निर्धारित की हुई है| ये सीमा निर्धारण काफी रिसर्च के पश्चात किया गया है| १६ साल की उम्र तक बच्चे मेट्रिक पास करलेते हैं और कॉलेज में एडमिशन प्राप्त कर लेते हैं| सही माने में चार साल तक बच्चो की खेलने, कूदने, खाने, सोने और आनंद करने की उम्र होती है| और उन्हें जबरदस्ती प्राइवेट स्कूलों में भर्ती करना यानि उनको उनके बचपन के खेलने, कूदने, खाने, पीने और मौज करने के अधिकारों से वंचित करना होगा ये बच्चो के साथ क्रूरता है| प्राइवेट स्कूलों मेंबच्चे अपनेआप की  दूसरों से तुलना करने लगते हैं और यदि वे दूसरे बच्चो जितना नहीं कर पाते तो वे हीन भावना का शिकार बनने लग जाते हैं जो की उनके विकास के मार्ग में बाधक एवं हानिकारक ह| बच्चो की ये मानसिकता माता पिता के लिए भी एक गंभीर समस्या बन के रह जाती है|

समय की इस तीव्र गति ओर आपा-थापी में आज-कल माता पिता भी बच्चो के विकास और प्रगति के बारे में अतिशय आशावादी एवं उत्साहित हो गए हैं| इसका मूल कारण आजकल टीवी पे बच्चो के रियलिटी शो हैं| जब बच्चे जब माता पिता की उम्मीद पे खरे नहीं उत्तर पाते तब उन्हें डांट, फटकार और मार पड़ती है| इससे बच्चो की मानसिकता सुधरने के बजाय और भी बिगड़ती जाती है| ये परिस्थिति वाकई बहुत ही गंभीर एवं दयनीय है

सारांश में, माता पिता एवं अभिभावकों को समझना चाहिए की सभी बच्चे सचिन तेंदुलकर या अमिताभ बच्चन तो नहीं बन सकते| और पांचों उंगलियां सरीखी नहीं होती| इतना ही नहीं एक ही माता पिता के सभी बच्चे सरीखे नहीं हो सकते| अतः बच्चो को उम्र से पहले स्कूलों में ना भेज दे| उन्हें खूब खेलने कूदने और मौज मस्ती करने दे और जब चार साल के हो जाय तब स्कूल में भेजे| दूसरा बच्चों से उनकी क्षमता के उपरांत बोझ ना डालें, चाहे वो पढाई के मामले में हो या फिर अन्य प्रवृतियों के बारे में

ठाकोर जोशी

शब्द ४१२   

Thursday, March 10, 2016

निबंध: - विज्ञापनों के गुण दोष


  • कुछ लोगो का अभिप्राय है कि विज्ञापन जीवन में जरूरी और महत्वपूर्ण हैं, जबकि कुछ लोग ऐसा मानते है कि विज्ञापन जरूरी नहीं है और उनका लोगो पर विपरीत असर होता है| इस निबंध में हम दोनों पहलु पर चर्चा विचारणा करेंगे|
  • विज्ञापन क्या है: -
  • विज्ञापन व्यपार और वाणिज्य के ऐसे सन्देश का काम करता है जो कि एक बहुत बड़ी संख्या में जनसँख्या को उपयोगी उत्पाद एवं सेवाओं की जानकारी देता है| इससे लोगों को सही उत्पाद और सेवाओ को प्राप्त करने में सहायता मिलती है और व्यापारियों को कारोबार एवं मुनाफा| व्यापारियों का कारोबार देश की अर्थव्यवस्था की प्रगिति में योगदान देता है और देश को उन्नत बनाता है|
  • कुछ पदार्थ जैसे कि शराब, तम्बाखू, गुठका इत्यादि जोकि अत्यंत हानिकारक और जानलेवा हैं, उनके विज्ञापन बड़े बड़े नामी फिल्म अभिनेताओं और सुन्दर एवं मनमोहक अभिनेत्रियों को चुन कर बहुत ही आकर्षक बनाये जाते है| ये विज्ञापन अख़बारों,मगज़िनो और टीवी में प्रसारित किये जाते हैं| ये विज्ञापन जनता को मोहित कर देते हैं और जनता, जिसमे की युवा पीढ़ी शामिल है इन पदार्थों के सेवन से स्वास्थ्य बिगाड़ लेते हैं| इस प्रकार युवा पीढ़ी का बर्बाद होना देश की उन्नति में बाधक है|
  • सॉफ्ट ड्रिंक्स के विज्ञापन बहुत ही अतिश्योक्ति वाले बनाये जाते हैं| जैसे की एक हीरो ऊँची ईमारत पे सॉफ्ट ड्रिंक पीकर अपने कपड़ों में आग लगा कर जमीं पर कूद पड़ता है और उसे खरोंच तक नहीं लगती| इस प्रकार के विज्ञापन की नक़ल करने से कुछ युवाओं की मृत्यु भी हो चुकी है जो की अख़बारों में चर्चित हो चुकी है और अत्यंत ही खेदजनक है| मीडिया और टीवी सिर्फ वाणिज्य के लिए ही नहीं परन्तु जनता की सही शिक्षा एवं मार्गदर्शन के लिए है| इसप्रकार के भ्रमित करने वाले विज्ञापनों के लिए नहीं|
  • लड़कियों के छोटे छोटे अंडरवेअर्स, ब्रा,पैंटी वगेरा के विज्ञापन बहुत ही आकर्षक बनाये जाते है और मुख्य मार्गों पर होरोडिंग के रूपमे लगाये जाते हैं| ये विज्ञापन राहगीरों को उत्तेजित करते हैं| राहगीरों में स्कूल कॉलेज के लड़के लडकियां भी शामिल है जिनकी मानसिकता पर उत्तेजना का विपरीत असर होता है| होरोडिंग वाहन चालकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करते है, परिणामस्वरूप भयंकर अकस्मात् होते है जिसमे की जान माल की हानि होती है|
  • अंत में निष्कर्ष इतना ही निकलता है की विज्ञापन व्यपार एवं वाणिज्य का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है और देश की उन्नति का एक अति आवश्यक अंग है| विज्ञापन ऐसे होने चाहिए जोकि सही जानकारी दे और जनता एवं युवा पीढ़ी को भ्रमित एवं विचलित होने से बचाये|
- ठाकोर जोशी -
(शब्द 413)



Saturday, March 5, 2016

Proverbs Hindi versus English





नमस्कार दोस्तों मैं हूँ ठाकोर जोशी आपका इंग्लीश ट्रेनर| बात-चीत मे कहावतों ओर मुहावरों का प्रयोग बात-चीत को काफ़ी रस-प्रद बना देता है ओर वक्ता को प्रभावशाली | आज ह्म हिदी मे बोले जाने वाले मुहावरों ओर कहावतों के सम-कक्ष इंग्लीश के कहावतों ओर मुहावरों का अभ्यास करेंगे| तो चलिए शुरू करते हैं|

Hindi Proverbs

1. नाच न जाने आँगन टेढ़ा... Bad worker quarrels with his tools.

2. दूर के ढोल सुहवने लगते हैं... Grass looks greener on other side of the fence.

3. घर का भेदी लंका ढाए... Insiders cause disasters.

4. गरजने वाले बरसते नहीं... Barking dogs seldom bite.

5. जितनी लंबी चादर उतने ही पैर फैलाओ... Cut according to your cloth.

6. अंधों मे काना राजा... A number among the ciphers.

7. अब पछताए क्या होत है जब चिड़या चुग गयी खेत... No point crying over the spilt milk.

8. कलम तलवार से ज्यदा शक्तिशाली होती है... Pen is mightier than the sword.

9. जैसा देश वैसा भेष... When in Rome, do as the Romans

10. जैसा बोवोगे वैसा काटोगे + जैसी  करनी  वैसी  भरनी... As you sow, so shall you ‘reap

11. हिम्मत-ए मर्दा तो मददे खुदा... Fortune favours the bold.

12. एक ही थैली के चट्टेत बट्टे. + चोर – चोर  मौसेरे भाई... Birds of a feather flock together.

13. धर्मादा की गाय के दाँत नही गिने जाते... Don’t look gift horse in mouth.

14. अभ्यास ही चतुर बनाता है... Practice makes perfect.

15. जिस थाली मे खाए उसमे छेद ना करें... Don’t bite the hand that feeds you.

16. मोहरें लूटें ओर कॉयलों पे छाप... Penny wise and pound foolish.

17. जहाँ चाह वहाँ राह... Where there is a will there is a way.

18. जिसकी  लाठी  उसकी  भैंस... Might is right.

19. थोथा  चना  बाजे  घना + अधजल गगरी छलकत जाय... Empty vessels sound more.

20. लालच  बुरी  बला  है... Avarice (Greed) is root of all evils.

21. ऊँट  के  मुंह  में  जीरा... A drop in the ocean.

22. भैंस  के  आगे  बीन  बजाना... Cry in the wilderness.

आज के लिए बस इतना ही| कहावतों ओर मुहावरों का उपयोग करना शुरू कीजिए ओर देखिए क्या जादू होता है आप के वक्तव्य मे ओर आपके व्यक्तित्व मे|

फिर मिलेंगे चेनल पर सबस्क्राइब ज़रूर करे| धन्यवाद|||

Wednesday, March 2, 2016

आशु कविता "उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?"

आशु कविता "उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?"
आशु कविता मे एक पंक्ति दी जाती है ओर कविता उसी पंक्ति पर अंत होनी चाहिए| पंक्ति थी "उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?"
उधव जी श्री कृष्णा भगवान के सखा थे उन्हे उद्धो के नाम से संबोधित किया जाता था| श्री कृष्णा भगवान उनसे पूछते है: - उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?
मेरी एक स्वरचित आशु-कविता|
पंक्ति: - उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे?
टीवी ही तो है जीवन मे हमारे, सीरियलों मे नग्नता ही नग्नता है|
कैसे रोके बचों को देखने से हमारे? हार कर हम भी वहीं बैठ कर देखते रहते हैं सारे||
उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे? ||||
चोली के पीछे क्या है चुनरी के नीचे क्या है? पूछते जब जवान बेटी बेटे हमारे|
पापा आख़िर इस गाने मे खराबी क्या है? कोसते दुर्भाग्य की विवशता को हमारे||
हार कर हम भी वहीं बैठ कर देखते रहते हैं सारे|
उद्धो कहाँ गए आदर्श हमारे? ||||
ठाकोर जोशी