Showing posts with label खेल. Show all posts
Showing posts with label खेल. Show all posts

Sunday, March 13, 2016

निबंध: - बच्चो को स्कूल भेजने की आयु


निबंध: - बच्चो को स्कूल भेजने की आयु  

कुछ लोगों का अभिप्राय है की बच्चों कोजन्म के बाद जल्द से जल्द स्कूल शुरू करवा देना चाहिए और बच्चो को अधिक से अधिक समय पढाई में बिताना चाहिए ना की खेलने में| अन्य वर्ग का मानना है की चार साल की उम्र से पहले तक बच्चो को खूब खेलने कूदने देना चाहिए और चार साल पूरे होने के बाद ही उन्हें स्कूल शुरू करवाना चाहिए| हम इस निबंध में इस विषय पर चर्चा करेंगे|

स्कूल शुरू करने की एवं स्कूल छोड़ कर कॉलेज शुरू करने की आयु सीमा तो सरकार ने क्रमशः ०६ और १६ निर्धारित की हुई है| ये सीमा निर्धारण काफी रिसर्च के पश्चात किया गया है| १६ साल की उम्र तक बच्चे मेट्रिक पास करलेते हैं और कॉलेज में एडमिशन प्राप्त कर लेते हैं| सही माने में चार साल तक बच्चो की खेलने, कूदने, खाने, सोने और आनंद करने की उम्र होती है| और उन्हें जबरदस्ती प्राइवेट स्कूलों में भर्ती करना यानि उनको उनके बचपन के खेलने, कूदने, खाने, पीने और मौज करने के अधिकारों से वंचित करना होगा ये बच्चो के साथ क्रूरता है| प्राइवेट स्कूलों मेंबच्चे अपनेआप की  दूसरों से तुलना करने लगते हैं और यदि वे दूसरे बच्चो जितना नहीं कर पाते तो वे हीन भावना का शिकार बनने लग जाते हैं जो की उनके विकास के मार्ग में बाधक एवं हानिकारक ह| बच्चो की ये मानसिकता माता पिता के लिए भी एक गंभीर समस्या बन के रह जाती है|

समय की इस तीव्र गति ओर आपा-थापी में आज-कल माता पिता भी बच्चो के विकास और प्रगति के बारे में अतिशय आशावादी एवं उत्साहित हो गए हैं| इसका मूल कारण आजकल टीवी पे बच्चो के रियलिटी शो हैं| जब बच्चे जब माता पिता की उम्मीद पे खरे नहीं उत्तर पाते तब उन्हें डांट, फटकार और मार पड़ती है| इससे बच्चो की मानसिकता सुधरने के बजाय और भी बिगड़ती जाती है| ये परिस्थिति वाकई बहुत ही गंभीर एवं दयनीय है

सारांश में, माता पिता एवं अभिभावकों को समझना चाहिए की सभी बच्चे सचिन तेंदुलकर या अमिताभ बच्चन तो नहीं बन सकते| और पांचों उंगलियां सरीखी नहीं होती| इतना ही नहीं एक ही माता पिता के सभी बच्चे सरीखे नहीं हो सकते| अतः बच्चो को उम्र से पहले स्कूलों में ना भेज दे| उन्हें खूब खेलने कूदने और मौज मस्ती करने दे और जब चार साल के हो जाय तब स्कूल में भेजे| दूसरा बच्चों से उनकी क्षमता के उपरांत बोझ ना डालें, चाहे वो पढाई के मामले में हो या फिर अन्य प्रवृतियों के बारे में

ठाकोर जोशी

शब्द ४१२