- समय चला पर कैसे चला गया पता ही नहीं चला |
- जिंदगी
की आपा थापी में कब निकल गयी जिंदगी पता ही नहीं चला ||
- कंधे
पर बैठने वाले बालक कब हमारे कंधे के बराबर हो गए पता ही नहीं चला ||
- किराये
की खोली से सफर शुरू हुवा और कब अपना घर हुवा पता ही नहीं चला ||
- साइकिल
चलाते चलाते
थकते थे हम कब गाड़ियों में घूमने लगे पता ही नहीं चला ||
- शुरू
में हम माता पिता के लिए जिम्मेदार थे कब खुद के बच्चों की जिम्मेदारी आगयी पता ही नहीं चला ||
- एक
समय था जब् दोपहर को भी सो जाते थे हम, कब हमारी रातों की नींद उड़ गयी पता ही
नहीं चला ||
- कितना
इतराते थे हम अपने काले और घने बालों पर कब सफेदी आयी और कब सारे के सारे उड़ गए
पता ही नहीं घला ||
- दर ब् दर भटकते थे नौकरी के लिए और कब
रिटायर हो गए पता ही नहीं चला ||
- पैसा
कमाने में, बच्चों
के लिए बचाने में खूब व्यस्त रहे और कब बच्चे दूर हो गए पता ही नहीं चला ||
- भरे
पूरे परिवार में, भाई बहनों के साथ के कारण से, अपना सीना चौड़ा रखते थे कब सब का साथ छूट गया और कब
परिवार हम दो में सिमट कर रह गया पता ही नहीं चला ||
- अब
सोचते हैं अपने लिए कुछ करें पर अब शरीर
साथ नहीं देता ||
- हमारा समय चला और कब चला गया पता ही नहीं चला |||
Monday, March 2, 2020
समय और सैलाब प्रतीक्षा नहीं करते
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